आयुर्वेद के पहले चिकित्सा उपकरण के रूप में नाड़ी परीक्षा का महत्व नाड़ी वैद्य डॉ. अजीत सिंह यादव जी के अनुसार अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद की प्राथमिक चिकित्सा किट का पहला और सबसे सशक्त उपकरण नाड़ी परीक्षा ही होना चाहीए। यही कारण है कि हर सामान्य व्यक्ति के लिए नाड़ी का ज्ञान और कुछ आवश्यक जड़ी-बूटियों की जानकारी होना अनिवार्य है।
हमारे समाज में यह प्राचीन कहावत प्रचलित है कि “हमारा रसोईघर हमारी पहली चिकित्सा दुकान है”। इसका अर्थ है कि हमारे घर में उपलब्ध मसाले, जड़ी-बूटियाँ और खाद्य पदार्थों से हम कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। लेकिन यदि कोई व्यक्ति नाड़ी का ज्ञान भी प्राप्त कर लेता है, तो वह अपने रोजमर्रा के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को स्वयं ही प्रबंधित कर सकता है।
जैसे आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों में प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) की बुनियादी ट्रेनिंग दी जाती है, उसी प्रकार यदि नाड़ी का प्रशिक्षण भी एक सामान्य व्यक्ति को मिले, तो वह आयुर्वेद के ज्ञान को अधिक गहराई से समझ सकता है और नाड़ी के माध्यम से अपने शरीर की स्थिति का आकलन कर सकेगा। यह ज्ञान न केवल रोगों के शुरुआती संकेतों को पहचानने में सहायक होगा, बल्कि इससे व्यक्ति स्वयं की देखभाल कर सकेगा और छोटी-मोटी बीमारियों को घर पर ही प्रबंधित कर सकेगा।
नाड़ी वैद्य गुरुकुल का मिशन “घर-घर आयुर्वेद, घर-घर नाड़ी” को सफल बनाने के लिए हम सबका सहयोग आवश्यक है। जैसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति में कुछ टूल्स का उपयोग करके हम अपने स्वास्थ्य का प्रारंभिक मूल्यांकन कर सकते हैं, जैसे:
बीपी चेक करना (Blood Pressure Monitor द्वारा),
थर्मामीटर से बुखार मापना,
पल्सऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन स्तर जानना,
या चोट लगने पर पट्टी बांधना,
ठीक उसी प्रकार आप नाड़ी परीक्षा की सरल विधा को सीखकर अपने शरीर में होने वाले वात, पित्त, और कफ दोषों का मूल्यांकन कर सकते हैं। इन दोषों की स्थिति समझकर आप अपनी दिनचर्या और आहार-विहार में सही बदलाव कर सकते हैं, ताकि आपको स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने में मदद मिले।
यदि आप नाड़ी परीक्षा की बुनियादी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं, तो आप स्वयं के स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन कर सकते हैं। इससे आपको यह समझने में आसानी होगी कि आपके शरीर में कोई असंतुलन तो नहीं है और यदि है, तो प्रारंभिक रूप से आप इसका प्रबंधन कर सकते हैं। इससे आप बड़ी बीमारियों से बच सकते हैं और अपने शरीर को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
अगर आपको किसी गंभीर समस्या का अनुभव होता है और आपका भरोसा नाड़ी और आयुर्वेद में है, तो आप निस्संदेह किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर या वैद्य की सलाह लेंगे। आयुर्वेद का मूल सिद्धांत ही यह है कि स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और यदि कोई रोग हो जाए तो उसका इलाज करना।
इसी तरह, धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, हम सब मिलकर अपने समाज को रोगमुक्त बना सकते हैं।
आयुर्वेद की इस प्राचीनतम विधा को सीखकर और अपने जीवन में इसे अपनाकर हम “स्वस्थ भारत, श्रेष्ठ भारत” का सपना साकार कर सकते हैं।
इसी दिशा में नाड़ी वैद्य गुरुकुल स्वास्थ भारत, श्रेष्ठ भारत के मिशन पर कार्य कर रहा है। गुरुकुल का उद्देश्य हर घर में आयुर्वेद और नाड़ी ज्ञान का प्रसार करना है ताकि लोग अपने स्वास्थ्य को स्वयं प्रबंधित करने में सक्षम हों और भारत को एक स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र बना सकें।
नाड़ी वैद्य डॉ. अजीत सिंह यादव जी और उनके द्वारा संचालित नाड़ी वैद्य गुरुकुल प्राइवेट लिमिटेड इस मिशन के तहत पूरे भारत में *घर-घर आयुर्वेद, घर-घर नाड़ी’ के उद्देश्य से कार्यशालाओं का आयोजन कर रहे हैं, ताकि हर भारतीय को नाड़ी परीक्षा का ज्ञान मिल सके और हम एक स्वस्थ और शक्तिशाली समाज का निर्माण कर सकें।
आप सभी इस यात्रा में आमंत्रित हैं, जहाँ हम एक स्वस्थ भारत, श्रेष्ठ भारत की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
नाड़ी वैद्य गुरुकुल के साथ जुड़ें और इस अद्भुत ज्ञान को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। आइए, हम सब मिलकर इस मिशन को सफल बनाएं और आयुर्वेद को हर घर तक पहुँचाने में अपना योगदान दें।
अधिक जानकारी और वर्कशॉप के लिए संपर्क करें: नाड़ी वैद्य गुरुकुल प्रा. लि., करनाल, हरियाणा
8950770385