नाड़ी परीक्षा (Nadi Pariksha) द्वारा निदान किए जा सकने वाले प्रमुख शारीरिक और मानसिक विकार

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नाड़ी परीक्षा (Nadi Pariksha) द्वारा निदान किए जा सकने वाले प्रमुख शारीरिक और मानसिक विकार

डॉ. अजीत सिंह यादव जी, चेयरमैन नाड़ी वैद्य गुरुकुल प्रा. लि.
“घर-घर आयुर्वेद, घर-घर नाड़ी” मिशन के साथ संपूर्ण भारत में नाड़ी परीक्षा कार्यशालाओं का आयोजन
नाड़ी परीक्षा (Nadi Pariksha) आयुर्वेद की प्राचीन और प्रभावी निदान पद्धति है। इसके माध्यम से नाड़ी वैद्य शरीर के तीन दोषों—वात, पित्त, और कफ—के असंतुलन का मूल्यांकन करते हैं। इसके अतिरिक्त, नाड़ी के माध्यम से शरीर के विभिन्न प्रणालियों और विकारों का सटीक निदान किया जा सकता है।
 नाड़ी परीक्षा से निम्नलिखित प्रणालियों और स्वास्थ्य समस्याओं का निदान संभव है:
1. श्वसन तंत्र विकार (Respiratory System Disorders)
नाड़ी परीक्षा से श्वसन तंत्र की बीमारियों का निदान किया जा सकता है, जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, श्वसन नलिकाओं की सूजन आदि। नाड़ी वैद्य नाड़ी की गति और कंपन से श्वसन तंत्र में रुकावटों का पता लगा सकते हैं।
2. पाचन और मल उत्सर्जन तंत्र विकार (Digestive or Excretory System Disorders)
पाचन तंत्र के दोष, जैसे अपच, गैस्ट्रिक समस्याएं, कब्ज, और अम्लता को नाड़ी परीक्षा द्वारा पहचाना जा सकता है। नाड़ी के विभिन्न लक्षणों से पाचन प्रणाली की कार्यक्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।
3. हृदयवाहिनी या परिसंचरण तंत्र विकार (Cardiovascular or Circulatory System Disorders)
हृदय की स्थिति और रक्त परिसंचरण संबंधी समस्याओं का निदान नाड़ी परीक्षा से संभव है। नाड़ी की असमान गति और कंपन से हृदय अवरोध, उच्च रक्तचाप, और परिसंचरण की अनियमितताओं का पता लगाया जा सकता है।
4. मूत्र तंत्र विकार (Renal or Urinary System Disorders)
किडनी या मूत्र मार्ग से संबंधित रोग, जैसे किडनी स्टोन, संक्रमण या मूत्र असंतुलन का निदान नाड़ी के माध्यम से किया जा सकता है। नाड़ी की स्थिति से किडनी की कार्यक्षमता का गहराई से अध्ययन किया जाता है।
5. अंतःस्रावी तंत्र विकार (Endocrine System Disorders)
नाड़ी परीक्षा से हार्मोनल असंतुलन, थायरॉइड, मधुमेह और अन्य अंतःस्रावी विकारों का निदान किया जा सकता है। नाड़ी वैद्य शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों का सही आकलन कर सकते हैं।
6. तंत्रिका तंत्र विकार (Nervous System Disorders)
मानसिक तनाव, अवसाद, चिंता और तंत्रिका तंत्र की अन्य समस्याओं को नाड़ी परीक्षा के माध्यम से पहचाना जा सकता है। नाड़ी के तनावपूर्ण और असमान स्पंदन से तंत्रिका तंत्र की असंतुलन का पता लगाया जाता है।
7. मस्क्युलोस्केलेटल तंत्र विकार (Musculoskeletal System Disorders)
नाड़ी के माध्यम से मांसपेशियों और हड्डियों के विकारों का निदान किया जा सकता है। गठिया, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों की कमजोरी जैसी समस्याओं का निदान नाड़ी से होता है।
8. त्वचा और बाहरी स्रावी तंत्र विकार (Integumentary or Exocrine System Disorders)
त्वचा और बाहरी स्रावी तंत्र के विकार, जैसे एक्जिमा, सोरायसिस और त्वचा के अन्य रोग नाड़ी परीक्षा द्वारा पहचाने जाते हैं। नाड़ी की स्थिति त्वचा की समस्याओं का स्पष्ट संकेत देती है।

नाड़ी परीक्षा के माध्यम से प्रमुख बीमारियों का निदान
नाड़ी परीक्षा (Nadi Pariksha) एक अत्यंत सटीक और पारंपरिक आयुर्वेदिक विधि है, जिससे शरीर में होने वाले विभिन्न रोगों का निदान किया जा सकता है। इसके माध्यम से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक असंतुलन की भी पहचान की जाती है। यहाँ कुछ प्रमुख बीमारियाँ हैं, जिनका निदान नाड़ी परीक्षा के माध्यम से किया जा सकता है:

1. हृदय अवरोध (Heart Blockage)

नाड़ी परीक्षण हृदय की स्थिति का सटीक आकलन करता है।

  • कैसे पता चलता है: नाड़ी की गति, कंपन, और उसकी दिशा का निरीक्षण कर यह जान सकते हैं कि हृदय में रक्त प्रवाह में कोई रुकावट हो रही है या नहीं।
  • लाभ: यह हृदय के संभावित अवरोध (जैसे कोलेस्ट्रॉल जमा होना) या हृदय धमनियों में किसी प्रकार की रुकावट की प्रारंभिक पहचान में सहायक होता है, जिससे सही समय पर उपचार संभव हो सकता है।

2. कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol)

नाड़ी परीक्षा से शरीर में बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल स्तर का भी पता लगाया जा सकता है।

  • कैसे पता चलता है: नाड़ी में भारीपन और धीमी गति से कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने का संकेत मिलता है। यह धमनियों में ब्लॉकेज की संभावना का आकलन करने में भी मदद करता है।
  • लाभ: प्रारंभिक अवस्था में ही कोलेस्ट्रॉल का निदान कर उचित उपाय किए जा सकते हैं, जिससे हृदय रोग और अन्य समस्याओं से बचाव होता है।

3. विभिन्न प्रकार के ट्यूमर (Different Types of Tumors)

नाड़ी परीक्षा शरीर में बनने वाले ट्यूमर का सटीक रूप से पता लगाने में मदद करती है।

  • कैसे पता चलता है: नाड़ी की तीव्रता, दबाव और उसकी धड़कन की अनियमितता से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि शरीर के किस अंग में असमान्य वृद्धि हो रही है।
  • लाभ: ट्यूमर के स्थान, प्रकार और उसकी गंभीरता का पता नाड़ी के माध्यम से लगाया जा सकता है, जो शरीर के भीतर की समस्याओं का एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।

4. फैटी लिवर (Fatty Liver)

नाड़ी परीक्षा लीवर की स्थिति का मूल्यांकन करने में सहायक होती है।

  • कैसे पता चलता है: नाड़ी की धीमी गति, वजन और घबराहट का अनुभव लिवर में वसा के अधिक जमा होने का संकेत हो सकता है।
  • लाभ: फैटी लिवर का निदान प्रारंभिक अवस्था में कर लिया जाता है, जिससे लीवर को सही समय पर उपचार द्वारा स्वस्थ बनाया जा सकता है।

5. किडनी रोग (Kidney Diseases)

नाड़ी के माध्यम से गुर्दों से संबंधित समस्याओं का पता लगाया जा सकता है।

  • कैसे पता चलता है: नाड़ी की गति में अनियमितता, दबाव, और सूजन जैसे लक्षण किडनी की समस्याओं की ओर संकेत करते हैं।
  • लाभ: किडनी के प्रारंभिक लक्षणों का पता लगाकर उपचार किया जा सकता है, जिससे गुर्दों की कार्यक्षमता में सुधार होता है।

नाड़ी परीक्षा के लाभ और विशेषताएँ

नाड़ी परीक्षा (Nadi Pariksha) आयुर्वेद की प्राचीन और अद्वितीय विधि है, जो शरीर, मन और आत्मा के समग्र स्वास्थ्य का आकलन करती है। इसके माध्यम से किसी भी व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक असंतुलन को पहचाना जा सकता है। नाड़ी परीक्षा के कई महत्वपूर्ण लाभ और विशेषताएँ हैं, जो इसे एक प्रभावी निदान पद्धति बनाती हैं।

नाड़ी परीक्षा के प्रमुख लाभ:

  1. त्रिदोषों का संतुलन
    नाड़ी परीक्षा से वात, पित्त, और कफ—इन तीनों दोषों के संतुलन या असंतुलन का सटीक आकलन किया जा सकता है। यह शरीर के आंतरिक कार्यप्रणाली को समझने और उसके अनुसार उपाय सुझाने में मदद करती है।
  2. रोगों का प्रारंभिक निदान
    नाड़ी परीक्षा के माध्यम से उन बीमारियों का निदान किया जा सकता है, जो शरीर में विकसित हो रही होती हैं, लेकिन अभी तक बाहरी लक्षण नहीं दिखे हैं। यह भविष्य में होने वाले रोगों का प्रारंभिक चेतावनी संकेत प्रदान करती है।
  3. मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का आकलन
    नाड़ी परीक्षा न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की स्थिति को भी समझने में मदद करती है। यह तनाव, चिंता, अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं का निदान कर सकती है।
  4. समग्र उपचार दृष्टिकोण
    नाड़ी परीक्षा शरीर के विभिन्न प्रणालियों को समग्र रूप से समझने में मदद करती है, जिससे व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए समग्र उपचार की योजना बनाई जा सकती है।
  5. शरीर की ऊर्जा का मूल्यांकन
    नाड़ी वैद्य रोगी की आंतरिक ऊर्जा को महसूस कर सकते हैं और इस आधार पर यह समझ सकते हैं कि शरीर में किस स्तर पर असंतुलन है। यह ऊर्जा स्तर के आधार पर व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति को गहराई से समझने का अवसर देती है।
  6. प्राकृतिक उपचार की दिशा
    नाड़ी परीक्षा से प्राप्त जानकारी के आधार पर, वैद्य प्राकृतिक उपचारों का सुझाव दे सकते हैं, जैसे—आहार में बदलाव, जीवनशैली में सुधार, योग और ध्यान का अभ्यास, जड़ी-बूटियों का सेवन आदि। यह उपचार किसी भी प्रकार के दुष्प्रभावों से मुक्त होते हैं।
  7. गहन और व्यक्तिगत निदान
    नाड़ी परीक्षा एक अत्यधिक व्यक्तिगत विधि है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति की अनूठी शारीरिक और मानसिक स्थिति का विश्लेषण किया जाता है। इससे नाड़ी वैद्य को हर व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत और उपयुक्त उपचार योजना तैयार करने में सहायता मिलती है।

नाड़ी परीक्षा की विशेषताएँ:

  1. सटीकता और विश्वसनीयता
    नाड़ी परीक्षा अत्यधिक सटीक और विश्वसनीय विधि है, जिससे विभिन्न बीमारियों का सटीक निदान किया जा सकता है। यह निदान वैद्य की अनुभव और क्षमता पर आधारित होती है।
  2. गुरु कृपा और अनुभव का महत्व
    नाड़ी परीक्षा का सफल और सटीक निदान वैद्य के अनुभव और गुरु कृपा पर निर्भर करता है। नाड़ी वैद्य का ध्यान, अनुभव और गुरु द्वारा प्राप्त ज्ञान इस विधि को और अधिक प्रभावी बनाते हैं।
  3. प्राकृतिक और बिना दुष्प्रभाव
    नाड़ी परीक्षा एक प्राकृतिक विधि है, जो बिना किसी बाहरी यंत्र या उपकरण के की जाती है। इसमें कोई दुष्प्रभाव नहीं होता, और यह किसी भी आयु वर्ग के लोगों के लिए सुरक्षित है।
  4. मनोवैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य का आकलन
    नाड़ी परीक्षा के माध्यम से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का आकलन किया जाता है, बल्कि व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की स्थिति को भी समझा जा सकता है। यह व्यक्ति के मन और आत्मा के असंतुलन को ठीक करने की दिशा में भी सहायक होती है।
  5. समग्र दृष्टिकोण
    नाड़ी परीक्षा से प्राप्त जानकारी केवल शरीर के किसी एक हिस्से तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा के समग्र स्वास्थ्य का आकलन करती है। इसका उद्देश्य संपूर्ण जीवनशैली को सुधारने की दिशा में होता है।

नाड़ी वैद्य गुरुकुल प्रा. लि. का योगदान:
नाड़ी वैद्य गुरुकुल प्रा. लि. के चेयरमैन डॉ. अजीत सिंह यादव जी ने “घर-घर आयुर्वेद, घर-घर नाड़ी” मिशन के साथ नाड़ी परीक्षा की इस प्राचीन विद्या को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया है। उनके नेतृत्व में संपूर्ण भारत में नाड़ी परीक्षा कार्यशालाओं का आयोजन हो रहा है, जिससे लोग आयुर्वेद के इस अद्वितीय ज्ञान को समझ और आत्मसात कर सकें।

आपका स्वागत है स्वस्थ भारत, श्रेष्ठ भारत के निर्माण में:
आइए, आप भी इस यात्रा का हिस्सा बनें और “नाड़ी परीक्षा” के माध्यम से अपने शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं। हमारे इस मिशन में जुड़कर आप स्वस्थ भारत, श्रेष्ठ भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं।

“घर-घर आयुर्वेद, घर-घर नाड़ी”
स्वस्थ रहें, श्रेष्ठ बनें!

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