आयुर्वेद में नाड़ी परीक्षा का एक महत्वपूर्ण स्थान है। नाड़ी परीक्षा केवल शरीर की बीमारी को पहचानने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मन और आत्मा के गहरे रहस्यों को भी उजागर कर सकती है। इसे प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली में एक अद्भुत विज्ञान माना गया है।
नाड़ी वैद्य डॉ. अजीत सिंह यादव जी का मानना है कि नाड़ी परीक्षा के माध्यम से न केवल शरीर की विभिन्न बीमारियों को समझा जा सकता है, बल्कि यह भी पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति पर किसी नकारात्मक ऊर्जा या भूत-प्रेत बाधा का प्रभाव है या नहीं। आजकल के युग में, जहाँ वैज्ञानिक प्रगति अपने चरम पर है, नाड़ी परीक्षा का यह गूढ़ पक्ष लोगों को आकर्षित कर रहा है, और इस पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में एक विशेष पाठ्यक्रम भी शुरू किया गया है।
नाड़ी परीक्षा और नकारात्मक ऊर्जा का संबंध:
नाड़ी परीक्षा आयुर्वेद में एक ऐसी विधि है जो व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा की स्थिति को स्पष्ट रूप से समझने में सहायता करती है। इसके माध्यम से न केवल स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को समझा जाता है, बल्कि यह भी जाना जा सकता है कि किसी व्यक्ति पर कोई नकारात्मक ऊर्जा, जैसे भूत-प्रेत बाधा, का प्रभाव है या नहीं।
यह विज्ञान हमारी पारंपरिक गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से पीढ़ियों से हस्तांतरित होता आया है, जहाँ एक गुरु अपने शिष्य को इन गूढ़ रहस्यों की शिक्षा देता है।
आयुर्वेद में यह माना जाता है कि भूत-प्रेत बाधाएं, नकारात्मक ऊर्जा और अदृश्य शक्तियाँ भी व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। नाड़ी परीक्षा के माध्यम से नाड़ी वैद्य यह जान सकते हैं कि व्यक्ति के शरीर में कौन-से दोष असंतुलित हैं, और यह असंतुलन किसी बाहरी शक्ति, जैसे भूत-प्रेत बाधा या नकारात्मक ऊर्जा, के कारण हो सकता है। नाड़ी वैद्य डॉ. अजीत सिंह यादव का यह भी मानना है कि इस विधा का ज्ञान केवल पुस्तकों से प्राप्त नहीं किया जा सकता, बल्कि इसे गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से ही समझा जा सकता है।
भूत-प्रेत बाधा और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:
आयुर्वेद में मानसिक और आध्यात्मिक रोगों का भी गहराई से वर्णन है। भूत-प्रेत बाधा को एक प्रकार की मानसिक विकृति या अशांत ऊर्जा के रूप में देखा गया है। यह स्थिति व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है, जिससे उनकी सोच, समझ, और व्यवहार में बदलाव आ सकता है। नाड़ी परीक्षण के माध्यम से चिकित्सक इस असामान्य स्थिति का आभास कर सकते हैं और इसके समाधान हेतु आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ, मंत्र चिकित्सा, यज्ञ, और अन्य आध्यात्मिक उपाय भी सुझा सकते हैं।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और भूत-प्रेत बाधा का अध्ययन:
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने इस दिशा में एक कोर्स शुरू किया है, जिसमें भूत-प्रेत बाधा और अन्य आध्यात्मिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। इसका उद्देश्य इस प्राचीन ज्ञान को आधुनिक संदर्भ में समझना और उसके विज्ञान को स्थापित करना है। यह कोर्स भूत-प्रेत बाधाओं को आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नाड़ी परीक्षा का महत्व और इसकी सीमाएँ:
नाड़ी परीक्षा आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, और इसे सीखना और समझना एक गूढ़ प्रक्रिया है। नाड़ी परीक्षण में व्यक्ति की कलाई पर तीन अंगुलियों से नाड़ी का निरीक्षण किया जाता है। नाड़ी के स्पंदन से आयुर्वेदिक चिकित्सक यह समझ पाते हैं कि शरीर में कौन सा दोष असंतुलित हो रहा है और व्यक्ति के मानसिक एवं आध्यात्मिक स्थिति का भी संकेत मिलता है। जब नाड़ी में असामान्य गति या कंपन पाया जाता है, तो इसे मानसिक और आध्यात्मिक असंतुलन से जोड़ कर देखा जाता है। माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति पर बुरी शक्ति या नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है, तो यह नाड़ी में स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित हो सकता है।
परंतु यह एक ऐसा विज्ञान है, जो सामान्य चिकित्सा ज्ञान से परे है और इसकी सटीकता गुरु-शिष्य परंपरा में प्राप्त गहन ज्ञान पर निर्भर करती है।
नाड़ी परीक्षा केवल शारीरिक रोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके माध्यम से व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक पहलुओं को भी समझा जा सकता है। यह आयुर्वेद की एक गहन और रहस्यमय विधि है, जो शरीर की तीनों दोषों (वात, पित्त और कफ) का अध्ययन करने के साथ ही मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन को भी जांचती है।
नाड़ी परीक्षा के माध्यम से एक नाड़ी वैद्य व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा की स्थिति को समझ सकता है और यदि आवश्यक हो तो भूत-प्रेत बाधा या नकारात्मक ऊर्जा जैसी बाधाओं को भी पहचान सकता है। इसके लिए, वैद्य को अत्यधिक संवेदनशीलता और अभ्यास की आवश्यकता होती है, जो केवल वर्षों की साधना और अनुभव से ही संभव है।
निष्कर्ष:
नाड़ी परीक्षा का महत्व केवल शारीरिक रोगों के निदान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन के आध्यात्मिक और मानसिक पहलुओं को भी समझने में सहायता करती है। भूत-प्रेत बाधा या नकारात्मक ऊर्जा जैसे अदृश्य प्रभावों को भी नाड़ी परीक्षा के माध्यम से समझा जा सकता है। यह विज्ञान हमारे पारंपरिक गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है और इसका ज्ञान हमारे समाज के लिए अनमोल है।
जो व्यक्ति इस गूढ़ ज्ञान को प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए ‘घर घर आयुर्वेद, घर घर नाड़ी’ मिशन का हिस्सा बनना और गुरु-शिष्य परंपरा से इस ज्ञान को प्राप्त करना एक अद्भुत अवसर है।
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