“जलाधिक्यपरिणामः: आयुर्वेद और विज्ञान के दृष्टिकोण से संतुलित जल सेवन का महत्व”
जलाधिक्यान्मनुष्याणामामवृद्धिः प्रजायते । आमवृद्ध्या तु मन्दाग्निर्मन्दाग्नौ चाप्यजीर्णता ।। १ ।। अजीर्णेन ज्वरोत्पत्तिज्वराद्वै धातुनाशनम् । धातुनाशात्सर्वरोगा जायन्ते चोत्तरोत्तरम् ।। २ ।। जलाधिक्य और इसका आयुर्वेदिक संदर्भ आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में संतुलित मात्रा में जल का सेवन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। लेकिन अत्यधिक जल पीने से शरीर के अग्नि और धातु संतुलन में बाधा […]